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"माथे पे बिंदिया चमक रही / भावना कुँअर" के अवतरणों में अंतर
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हाथों में मेंहदी महक रही। | हाथों में मेंहदी महक रही। | ||
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शर्माते से इन गालों पर | शर्माते से इन गालों पर | ||
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सूरज सी लाली दमक रही। | सूरज सी लाली दमक रही। | ||
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खन-खन से करते कॅगन की | खन-खन से करते कॅगन की | ||
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आवाज़ मधुर सी चहक रही। | आवाज़ मधुर सी चहक रही। | ||
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है नये सफर की तैयारी | है नये सफर की तैयारी | ||
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14:34, 29 दिसम्बर 2009 का अवतरण
माथे पे बिंदिया चमक रही
हाथों में मेंहदी महक रही।
शर्माते से इन गालों पर
सूरज सी लाली दमक रही।
खन-खन से करते कॅगन की
आवाज़ मधुर सी चहक रही।
है नये सफर की तैयारी
पैरों में पायल छनक रही।