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"क्या करें और कहाँ जाएँ बताए कोई / विनोद तिवारी" के अवतरणों में अंतर
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कैसे तूफ़ाँ से न घबराएँ बताए कोई | कैसे तूफ़ाँ से न घबराएँ बताए कोई | ||
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+ | लोगों ने परस्पर प्रशस्तियाँ गाईं | ||
क्यों न मिलती रहें सुविधाएँ बताए कोई | क्यों न मिलती रहें सुविधाएँ बताए कोई | ||
− | सिर्फ़ आज़ादी हो, | + | सिर्फ़ आज़ादी हो, रोटी हो न कपड़ा न मकान |
लोग फिर गाएँ या चिल्लाएँ बताए कोई | लोग फिर गाएँ या चिल्लाएँ बताए कोई | ||
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18:44, 6 जनवरी 2010 का अवतरण
क्या करें और कहाँ जाएँ बताए कोई
अपना इइमान बचा पाएँ बताए कोई
दूर तक एक समन्दर-सा है लहराता हुआ
कैसे तूफ़ाँ से न घबराएँ बताए कोई
भ्रष्ट
लोगों ने परस्पर प्रशस्तियाँ गाईं
क्यों न मिलती रहें सुविधाएँ बताए कोई
सिर्फ़ आज़ादी हो, रोटी हो न कपड़ा न मकान
लोग फिर गाएँ या चिल्लाएँ बताए कोई