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"अजी बाबा जी (फ़ेरों का गीत) / खड़ी बोली" के अवतरणों में अंतर
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+ | अजी बाबा जी अजी ताऊ जी | ||
+ | हमारे आप वर ढूँढो | ||
+ | सास हो जैसी गऊ माता | ||
+ | ससुर हों दिल्ली के दादा जी। | ||
+ | पति हों बाल ब्रह्मचारी | ||
+ | जो राखै प्राणों से प्यारी जी | ||
+ | गड़ा दो केले के खम्बे जी | ||
+ | दिला दो वेद से फेरे जी। | ||
− | + | ( इस गीत में इसी प्रकार पिता ,चाचा, जीजा ,बड़े भाई से यह गीत सम्बोधित होकर आगे बढ़ता है) | |
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− | हम तो हो गए हैरान लाड्डो तेरे लिए… | + | हम तो हो गए हैरान लाड्डो तेरे लिए… |
− | गोकुल भी ढूँड्या लाड्डो मथुरा भी ढूँड्या | + | गोकुल भी ढूँड्या लाड्डो मथुरा भी ढूँड्या |
− | ढूँड्या- ढूँड्या शेरपुर लाड्डो तेरे लिए… | + | ढूँड्या- ढूँड्या शेरपुर लाड्डो तेरे लिए… |
− | सारे कॉलिज के लड़के भी ढूँड्डे | + | सारे कॉलिज के लड़के भी ढूँड्डे |
− | ढूँड्या- ढूँड्या ये लल्लू लाड्डो तेरे | + | ढूँड्या- ढूँड्या ये लल्लू लाड्डो तेरे लिए… |
− | बिन्दी भी देंगे लाड्डो टिक्का भी देंगे | + | बिन्दी भी देंगे लाड्डो टिक्का भी देंगे |
− | देंगे- देंगे ये झूमर लाड्डो तेरे | + | देंगे- देंगे ये झूमर लाड्डो तेरे लिए… |
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18:54, 16 जनवरी 2010 के समय का अवतरण
♦ रचनाकार: अज्ञात
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- हिमाचली लोकगीत
अजी बाबा जी अजी ताऊ जी
हमारे आप वर ढूँढो
सास हो जैसी गऊ माता
ससुर हों दिल्ली के दादा जी।
पति हों बाल ब्रह्मचारी
जो राखै प्राणों से प्यारी जी
गड़ा दो केले के खम्बे जी
दिला दो वेद से फेरे जी।
( इस गीत में इसी प्रकार पिता ,चाचा, जीजा ,बड़े भाई से यह गीत सम्बोधित होकर आगे बढ़ता है)
फेरों के गीत-2
हम तो हो गए हैरान लाड्डो तेरे लिए…
गोकुल भी ढूँड्या लाड्डो मथुरा भी ढूँड्या
ढूँड्या- ढूँड्या शेरपुर लाड्डो तेरे लिए…
सारे कॉलिज के लड़के भी ढूँड्डे
ढूँड्या- ढूँड्या ये लल्लू लाड्डो तेरे लिए…
बिन्दी भी देंगे लाड्डो टिक्का भी देंगे
देंगे- देंगे ये झूमर लाड्डो तेरे लिए…