भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
"अन्दर से लाड्डो बाहर निकलो / खड़ी बोली" के अवतरणों में अंतर
Kavita Kosh से
Pratishtha (चर्चा | योगदान) |
|||
(2 सदस्यों द्वारा किये गये बीच के 2 अवतरण नहीं दर्शाए गए) | |||
पंक्ति 1: | पंक्ति 1: | ||
{{KKGlobal}} | {{KKGlobal}} | ||
− | {{ | + | {{KKLokRachna |
− | KKLokRachna | + | |रचनाकार=अज्ञात |
− | |रचनाकार | + | |
}} | }} | ||
− | + | {{KKLokGeetBhaashaSoochi | |
− | '''विवाह–गीत | + | |भाषा=खड़ी बोली |
− | + | }} | |
− | अन्दर से लाड्डो बाहर निकलो | + | '''विवाह–गीत''' |
− | + | <poem> | |
− | कँवर चौंरी चढ़ गयौ | + | अन्दर से लाड्डो बाहर निकलो |
− | + | कँवर चौंरी चढ़ गयौ | |
− | होय लो न रुकमण सामणी | + | होय लो न रुकमण सामणी |
− | + | -मैं कैसे निकलूँ मेरे कँवर रसिया | |
− | -मैं कैसे निकलूँ मेरे कँवर रसिया | + | लखिया सा बाबा मेरी सामणी। |
− | + | तेरे बाबा को अपणी दादी दिला दूँ | |
− | लखिया सा बाबा मेरी | + | होय लो न रुकमण सामणी। |
− | + | -मैं कैसे निकलूँ मेरे कँवर रसिया | |
− | तेरे बाबा को अपणी दादी | + | लखिया सा ताऊ मेरी सामणी |
− | + | तेरे ताऊ को अपणी ताई दिला दूँ | |
− | होय लो न रुकमण | + | होय लो न रुकमण सामणी |
− | + | -मैं कैसे निकलूँ मेरे कँवर रसिया | |
− | -मैं कैसे निकलूँ मेरे कँवर रसिया | + | लखिया सा भाई मेरी सामणी |
− | + | तेरे भाई को अपणी बाहण दिला दूँ, | |
− | लखिया सा ताऊ मेरी सामणी | + | होय लो न रुकमण सामणी |
− | + | -मैं कैसे निकलूँ मेरे कँवर रसिया | |
− | तेरे ताऊ को अपणी ताई | + | लखिया सा बाबुल मेरी सामणी |
− | + | तेरे बाबुल को अपणी अम्मा दिला दूँ | |
− | होय लो न रुकमण सामणी | + | होय लो न रुकमण सामणी। |
− | + | </poem> | |
− | -मैं कैसे निकलूँ मेरे कँवर रसिया | + | |
− | + | ||
− | लखिया सा भाई मेरी सामणी | + | |
− | + | ||
− | तेरे भाई को अपणी बाहण | + | |
− | + | ||
− | होय लो न रुकमण सामणी | + | |
− | + | ||
− | -मैं कैसे निकलूँ मेरे कँवर रसिया | + | |
− | + | ||
− | लखिया सा बाबुल मेरी सामणी | + | |
− | + | ||
− | तेरे बाबुल को अपणी अम्मा | + | |
− | + | ||
− | होय लो न रुकमण | + |
18:55, 16 जनवरी 2010 के समय का अवतरण
♦ रचनाकार: अज्ञात
भारत के लोकगीत
- अंगिका लोकगीत
- अवधी लोकगीत
- कन्नौजी लोकगीत
- कश्मीरी लोकगीत
- कोरकू लोकगीत
- कुमाँऊनी लोकगीत
- खड़ी बोली लोकगीत
- गढ़वाली लोकगीत
- गुजराती लोकगीत
- गोंड लोकगीत
- छत्तीसगढ़ी लोकगीत
- निमाड़ी लोकगीत
- पंजाबी लोकगीत
- पँवारी लोकगीत
- बघेली लोकगीत
- बाँगरू लोकगीत
- बांग्ला लोकगीत
- बुन्देली लोकगीत
- बैगा लोकगीत
- ब्रजभाषा लोकगीत
- भदावरी लोकगीत
- भील लोकगीत
- भोजपुरी लोकगीत
- मगही लोकगीत
- मराठी लोकगीत
- माड़िया लोकगीत
- मालवी लोकगीत
- मैथिली लोकगीत
- राजस्थानी लोकगीत
- संथाली लोकगीत
- संस्कृत लोकगीत
- हरियाणवी लोकगीत
- हिन्दी लोकगीत
- हिमाचली लोकगीत
विवाह–गीत
अन्दर से लाड्डो बाहर निकलो
कँवर चौंरी चढ़ गयौ
होय लो न रुकमण सामणी
-मैं कैसे निकलूँ मेरे कँवर रसिया
लखिया सा बाबा मेरी सामणी।
तेरे बाबा को अपणी दादी दिला दूँ
होय लो न रुकमण सामणी।
-मैं कैसे निकलूँ मेरे कँवर रसिया
लखिया सा ताऊ मेरी सामणी
तेरे ताऊ को अपणी ताई दिला दूँ
होय लो न रुकमण सामणी
-मैं कैसे निकलूँ मेरे कँवर रसिया
लखिया सा भाई मेरी सामणी
तेरे भाई को अपणी बाहण दिला दूँ,
होय लो न रुकमण सामणी
-मैं कैसे निकलूँ मेरे कँवर रसिया
लखिया सा बाबुल मेरी सामणी
तेरे बाबुल को अपणी अम्मा दिला दूँ
होय लो न रुकमण सामणी।