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"अन्दर से लाड्डो बाहर निकलो / खड़ी बोली" के अवतरणों में अंतर

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'''विवाह–गीत'''
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अन्दर से लाड्डो बाहर निकलो
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कँवर चौंरी चढ़ गयौ
 
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होय लो न रुकमण सामणी
कँवर चौंरी चढ़ गयौ <br>
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लखिया सा बाबा मेरी सामणी।
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तेरे बाबा को अपणी दादी दिला दूँ
 
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लखिया सा ताऊ मेरी सामणी
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लखिया सा भाई मेरी सामणी
होय लो न रुकमण सामणी ।<br>
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तेरे भाई को अपणी बाहण दिला दूँ,
 
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होय लो न रुकमण सामणी
-मैं कैसे निकलूँ मेरे कँवर रसिया<br>
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लखिया सा बाबुल मेरी सामणी
लखिया सा ताऊ मेरी सामणी<br>
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तेरे बाबुल को  अपणी अम्मा दिला दूँ
 
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होय लो न रुकमण सामणी।
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18:55, 16 जनवरी 2010 के समय का अवतरण

   ♦   रचनाकार: अज्ञात

विवाह–गीत

अन्दर से लाड्डो बाहर निकलो
कँवर चौंरी चढ़ गयौ
होय लो न रुकमण सामणी
-मैं कैसे निकलूँ मेरे कँवर रसिया
लखिया सा बाबा मेरी सामणी।
तेरे बाबा को अपणी दादी दिला दूँ
होय लो न रुकमण सामणी।
-मैं कैसे निकलूँ मेरे कँवर रसिया
लखिया सा ताऊ मेरी सामणी
तेरे ताऊ को अपणी ताई दिला दूँ
होय लो न रुकमण सामणी
-मैं कैसे निकलूँ मेरे कँवर रसिया
लखिया सा भाई मेरी सामणी
तेरे भाई को अपणी बाहण दिला दूँ,
होय लो न रुकमण सामणी
-मैं कैसे निकलूँ मेरे कँवर रसिया
लखिया सा बाबुल मेरी सामणी
तेरे बाबुल को अपणी अम्मा दिला दूँ
होय लो न रुकमण सामणी।