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"विदा के समय / शलभ श्रीराम सिंह" के अवतरणों में अंतर
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चेहरा वह नहीं था
हँसी भी नहीं थी वह
सुन्दर-सुन्दर था फिर भी सब कुछ
दुःख का ऐसा रूपांतरण
देखा नहीं गया कहीं।
देखा नहीं गया कभी।।
रचनाकाल : 1992, अयोध्या