भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

"क्यूँ चुप-चुप सा खड़ा है दर्द / श्रद्धा जैन" के अवतरणों में अंतर

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज
(नया पृष्ठ: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार= श्रद्धा जैन }} {{KKCatGhazal}} <poem> क्यूँ चुप-चुप सा खड़ा है …)
(कोई अंतर नहीं)

20:13, 22 जनवरी 2010 का अवतरण

क्यूँ चुप-चुप सा खड़ा है दर्द
आँखों में जब हरा है दर्द

हँसते-खिलते लोगों से मिल
कुछ तो शायद डरा है शायद

पलकों की छत पर है रोका
मुंडेरों पे मरा है दर्द

यादों की इक आग जला कर
कहा है हमने खरा है दर्द

तुमने वफ़ा के सफ़र में 'श्रद्धा'
सुना लिखा और पढ़ा है दर्द