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"पुरइन मगन हो जाती है / रंजना जायसवाल" के अवतरणों में अंतर
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19:55, 24 जनवरी 2010 के समय का अवतरण
जब भी
जीती हूँ तुममें
तुम
आ जाते हो
मुझमें
और हर लेते हो
मेरे अन्दर का
सूनापन
बाहर
पसर जाती है
एक चुप्पी
और भीतर मच जाती है
हलचल
रातें
सजल हो जाती हैं
दिन तरल
पोखर भर जाता है
पुरइन मगन हो जाती है...।