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"क्योंकि यहाँ तुम रहते हो / रंजना जायसवाल" के अवतरणों में अंतर

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20:04, 24 जनवरी 2010 के समय का अवतरण

यह शहर
मुझे अच्छा लगता है
क्योंकि यहाँ तुम रहते हो
भले ही हमारे घरों के बीच
मीलों का फ़ासला है

भले ही तुम्हें देखे
गुज़र जाते हैं
बरसों - बरस

भले ही हमारे बीच खडी़ है
सैकड़ों दीवारें

भले ही यह शहर
हो गया है असुक्षित

फिर भी तुम्हारी उपस्थिति की सुगन्ध
महकाए रहती है
मेरे रात - दिन

और इसे छोड़ने की कल्पना से दुखता है मन...।