भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

"पुरानी यादें-1 / मनीषा पांडेय" के अवतरणों में अंतर

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज
(New page: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=मनीषा पांडेय }} कहाँ जाती हैं पुरानी यादें प्‍लास्‍ट...)
 
 
पंक्ति 1: पंक्ति 1:
 
{{KKGlobal}}
 
{{KKGlobal}}
 
{{KKRachna
 
{{KKRachna
|रचनाकार=मनीषा पांडेय
+
|रचनाकार=मनीषा पांडेय  
 +
|संग्रह=
 
}}
 
}}
 
+
{{KKCatKavita}}
 +
<poem>
 
कहाँ जाती हैं
 
कहाँ जाती हैं
 
 
पुरानी यादें
 
पुरानी यादें
 
 
प्‍लास्‍टर झड़ी दीवार की तरह
 
प्‍लास्‍टर झड़ी दीवार की तरह
 
 
रहती हैं हर घड़ी आँखों के सामने
 
रहती हैं हर घड़ी आँखों के सामने
 
 
छत पर पुराने सीलिंग फैन की तरह
 
छत पर पुराने सीलिंग फैन की तरह
 
 
लटकी होती हैं
 
लटकी होती हैं
 
 
और घरघराती हैं पूरी रात
 
और घरघराती हैं पूरी रात
 +
</poem>

20:46, 26 जनवरी 2010 के समय का अवतरण

कहाँ जाती हैं
पुरानी यादें
प्‍लास्‍टर झड़ी दीवार की तरह
रहती हैं हर घड़ी आँखों के सामने
छत पर पुराने सीलिंग फैन की तरह
लटकी होती हैं
और घरघराती हैं पूरी रात