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"बनिया होने के माने हैं / मुकेश जैन" के अवतरणों में अंतर

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'''बनिया होने के माने हैं'''
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|रचनाकार=मुकेश जैन
चोर और कमीना होना<br>
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एक गँवार आदमी होना<br>
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बनिया होने के माने हैं
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जो जिन्दगी जीना नहीं जानता है  
 
जो जिन्दगी जीना नहीं जानता है  
  
खूबसूरत लड़कियाँ बनियों के लिए<br>
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खूबसूरत लड़कियाँ बनियों के लिए  
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और बौद्धिकों के लिए तो बनिया<br>
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और बौद्धिकों के लिए तो बनिया
 
       बात करने के काबिल भी नहीं  
 
       बात करने के काबिल भी नहीं  
  
बनिया होने के माने हैं<br>
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बनिया होने के माने हैं  
जिन्दगी ढोना<br>
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जिन्दगी ढोना  
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क्लर्कों के बाद आती है बनियों<br>
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क्लर्कों के बाद आती है बनियों
 
की औकात  
 
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बनिया होने के माने हैं<br>
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बनिया होने के माने हैं
अयोग्य होना<br>
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अयोग्य होना
 
प्रगतिशीलों के लिए अछूत  
 
प्रगतिशीलों के लिए अछूत  
 
 
 
मैं बनिया हूं और कविता लिखता हूँ .  
 
मैं बनिया हूं और कविता लिखता हूँ .  
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18:42, 27 जनवरी 2010 के समय का अवतरण

बनिया होने के माने हैं
चोर और कमीना होना
एक गँवार आदमी होना
जो जिन्दगी जीना नहीं जानता है

खूबसूरत लड़कियाँ बनियों के लिए
                       नहीं होतीं हैं
और बौद्धिकों के लिए तो बनिया
       बात करने के काबिल भी नहीं

बनिया होने के माने हैं
जिन्दगी ढोना
             कोई बाप सीधा रुख नहीं करता है
        बनियों की तरफ़
क्लर्कों के बाद आती है बनियों
की औकात

बनिया होने के माने हैं
अयोग्य होना
प्रगतिशीलों के लिए अछूत

मैं बनिया हूं और कविता लिखता हूँ .

_______21/03/1992