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22:38, 31 जनवरी 2010 का अवतरण

समय न था

एक चिड़िया उड़ रही थी
आकाश में,
उसकी पूरी उड़ान देखने का

    समय न था.

फूल हिल रहे थे
कई-कई रंगों में
उनके रंग पहचानने का

   समय न था.

थोड़ी बदली थी
जो ढक लेती थी धूप
फिर निकलती धूप को
देखने का

   समय न था.

समय न था
कि उतरती सीड़ियों पर
जल्दी-जल्दी न उतरूँ.

   समय न था.