भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
"अधूरी चीज़ें तमाम. / प्रयाग शुक्ल" के अवतरणों में अंतर
Kavita Kosh से
Mukesh Jain (चर्चा | योगदान) (नया पृष्ठ: '''अधूरी चीज़ें तमाम''' अधूरी चीज़ें तमाम<br /> दिखती हैं<br /> किसी भी मोड…) |
Pratishtha (चर्चा | योगदान) |
||
पंक्ति 1: | पंक्ति 1: | ||
− | + | {{KKGlobal}} | |
+ | {{KKRachna | ||
+ | |रचनाकार=प्रयाग शुक्ल | ||
+ | }} | ||
+ | [[Category:कविता]] | ||
अधूरी चीज़ें तमाम<br /> | अधूरी चीज़ें तमाम<br /> |
21:54, 3 फ़रवरी 2010 के समय का अवतरण
अधूरी चीज़ें तमाम
दिखती हैं
किसी भी मोड़ पर.
करवटों में मेरी.
अधूरी नींद में.
हाथ जब लिखने लगता है कुछ,
जब उतर आती है रात.