{{KKGlobal}}{{KKRachna|रचनाकार: [[=मैथिलीशरण गुप्त]]}}[[Category:{{KKPageNavigation|पीछे=सैरन्ध्री / मैथिलीशरण गुप्त]]/ पृष्ठ 3[[Category:कविताएँ]]|आगे=सैरन्ध्री / मैथिलीशरण गुप्त / पृष्ठ 5|सारणी=सैरन्ध्री / मैथिलीशरण गुप्त~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~ }}
“सुमुखि, सुन्दरी मात्र तुझे मैं समझ रहा था,