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"घर पर सभी कहते हैं / मुकेश जैन" के अवतरणों में अंतर
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घर पर सभी कहते हैं
घर पर सभी कहते हैं
तुम देर से उठने लगे हो
मैं आज भी छह बजे उठता हूँ
लेकिन,
लेटा रहता हूँ
और, सोचता रहता हूँ
तुम्हारे-अपने बारे में.
सभी कहते हैं
तुम्हें क्या हो गया है
पुकारने पर सुनते नहीं
अपने में ही-
कभी मुस्कराहट
कभी उदासी
मैं नहीं जानता
कि
ऎसा क्यों होता है .
रचनाकाल : 22/नवम्बर/1987