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"मेरे क़रीब जितने अँधेरे थे हट गये / गोविन्द गुलशन" के अवतरणों में अंतर
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मेरे क़रीब जितने अँधेरे थे हट गए | मेरे क़रीब जितने अँधेरे थे हट गए | ||
उनसे मिला तो मुझसे उजाले लिपट गए | उनसे मिला तो मुझसे उजाले लिपट गए | ||
− | दरिया जो दरमियान था,गहरा न था मगर | + | दरिया जो दरमियान था, गहरा न था मगर |
पानी में जब पड़े तो मेरे पैर कट गए | पानी में जब पड़े तो मेरे पैर कट गए | ||
आया ख़याले-आशियाँ उड़ते हुए मुझे | आया ख़याले-आशियाँ उड़ते हुए मुझे | ||
− | फैले हुए हवा में,जो पर थे सिमट गए | + | फैले हुए हवा में, जो पर थे सिमट गए |
मेरा फ़साना तुमने सभी को सुना दिया | मेरा फ़साना तुमने सभी को सुना दिया | ||
− | वो दर्दो-ग़म जो मेरे थे,हिस्सों में | + | वो दर्दो-ग़म जो मेरे थे, हिस्सों में बँट गए |
नींदें उचट गईं मेरी आँखों से और फिर | नींदें उचट गईं मेरी आँखों से और फिर | ||
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देखा जब उसको सामने,रौशन हुए चराग़ | देखा जब उसको सामने,रौशन हुए चराग़ | ||
दिल के तमाम रास्ते फूलों से पट गए | दिल के तमाम रास्ते फूलों से पट गए | ||
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21:18, 6 फ़रवरी 2010 के समय का अवतरण
मेरे क़रीब जितने अँधेरे थे हट गए
उनसे मिला तो मुझसे उजाले लिपट गए
दरिया जो दरमियान था, गहरा न था मगर
पानी में जब पड़े तो मेरे पैर कट गए
आया ख़याले-आशियाँ उड़ते हुए मुझे
फैले हुए हवा में, जो पर थे सिमट गए
मेरा फ़साना तुमने सभी को सुना दिया
वो दर्दो-ग़म जो मेरे थे, हिस्सों में बँट गए
नींदें उचट गईं मेरी आँखों से और फिर
ये हुआ कि ख़्वाब-सलौने उचट गए
देखा जब उसको सामने,रौशन हुए चराग़
दिल के तमाम रास्ते फूलों से पट गए