गोविन्द गुलशन
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| जन्म | 07 फ़रवरी 1957 | 
|---|---|
| उपनाम | गोविन्द गुलशन | 
| जन्म स्थान | अनूपशहर, बुलंदशहर, उत्तर प्रदेश | 
| कुछ प्रमुख कृतियाँ | |
| जलता रहा चराग़ | |
| विविध | |
| मूल नाम गोविन्द कुमार सक्सैना। सारस्वत सम्मान, अग्निवेश सम्मान | |
| जीवन परिचय | |
| गोविन्द गुलशन / परिचय | |
| कविता कोश पता | |
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कुछ प्रतिनिधि रचनाएँ
- कर लिए मैंने मुहब्बत में अना के टुकड़े / गोविन्द गुलशन
 - हमारे चाहने वाले बहुत हैं / गोविन्द गुलशन
 - वहाँ चराग़ यहाँ रौशनी का साया है / गोविन्द गुलशन
 - लफ़्ज़ अगर कुछ ज़हरीले हो जाते हैं / गोविन्द गुलशन
 - हमारे जैसा बुरा उसका हाल था ही नहीं / गोविन्द गुलशन
 - रेगिस्तानी आँखों में भी हैं तस्वीरें पानी की / गोविन्द गुलशन
 - गुज़ारे के लिए एक आशियाना कम नहीं होता / गोविन्द गुलशन
 - मंज़र क्या पसमंज़र मेरे सामने है / गोविन्द गुलशन
 - वो तो क्या-क्या सितम नहीं करते / गोविन्द गुलशन
 - काश! अपना भी कोई चाहने वाला हो जाए / गोविन्द गुलशन
 - उम्र भर जिस आईने की जुस्तजू करते रहे / गोविन्द गुलशन
 - किसी के पास अब दिल है नहीं क्या / गोविन्द गुलशन
 - तुमने कितनी क़समें खाईं याद करो / गोविन्द गुलशन
 - इक परिन्दा आज मेरी छत पे मंडलाया तो है / गोविन्द गुलशन
 - हमको देखो ज़रा क़रीने से / गोविन्द गुलशन
 - हमने कितने ख़्वाब सजाए याद नहीं / गोविन्द गुलशन
 - राहे-उल्फ़त में मुकामात पुराने आए / गोविन्द गुलशन
 - आँखें जब ख़ामोशी गाने लगती हैं / गोविन्द गुलशन
 - क़ीमती हो न हो सौग़ात से डर लगता है / गोविन्द गुलशन
 - पानी का एक कारवाँ घर-घर में आ गया / गोविन्द गुलशन
 - होता रहा जब राख मेरा घर मेरे आगे / गोविन्द गुलशन
 - हमने जाना मगर क़रार के बाद / गोविन्द गुलशन
 - आवाज़ सुनी मेरी न रूदाद किसी ने / गोविन्द गुलशन
 - आँखों वाले धोका खाने वाले हैं / गोविन्द गुलशन
 - मिलने-जुलने की शुरुआत कहाँ से होती / गोविन्द गुलशन
 - जहाँ भी आबो-दाना हो गया है / गोविन्द गुलशन
 - ख़ुशबुओं की तरह जो बिखर जाएगा / गोविन्द गुलशन
 - रौशनी की महक जिन चराग़ों में है / गोविन्द गुलशन
 - उन्हें अब ज़ख़्म सीना आ गया है / गोविन्द गुलशन
 - कौन अपना है ये चेहरों से नहीं जानते हैं / गोविन्द गुलशन
 - जो ख़त लिखे हुए थे, किताबों में रह गए / गोविन्द गुलशन
 - दिल को सुकून दीदा-ए-तर ने नहीं दिया /गोविन्द गुलशन
 - बहुत ख़फ़ा हैं वो आज हमसे हमें बस इतना जता रहे हैं / गोविन्द गुलशन
 - अब चलो ये भी ख़ता की जाए /गोविन्द गुलशन
 - दिल है उसी के पास,हैं साँसें उसी के पास /गोविन्द गुलशन
 - मेरे क़रीब जितने अँधेरे थे हट गये / गोविन्द गुलशन
 - उसकी आँखों में बस जाऊँ मैं कोई काजल थोड़ी हूँ / गोविन्द गुलशन
 - क़रार दे के किया जिसने बेक़रार मुझे / गोविन्द गुलशन
 - दिल में ये एक डर है बराबर बना हुआ / गोविन्द गुलशन
 - इधर उधर की न बातों में तुम घुमाओ मुझे / गोविन्द गुलशन
 - इस लिए रहता नहीं कोई नया डर मुझमें / गोविन्द गुलशन
 - क्यूँ है ख़ामोश समंदर तुम्हें मा’लूम है क्या / गोविन्द गुलशन
 - जीने की तमन्ना लिए मर जाऊँ तो क्या हो / गोविन्द गु्लशन
 - मैं ख़ुद पे एक अजब वार करने वाला था / गोविन्द गुलशन
 - कभी जब रंग भरता हूँ तो भरने क्यूँ नहीं देते /गोविन्द गुलशन
 - धूप के पेड़ पर कैसे शबनम उगे बस यही सोच कर सब परेशान हैं/गोविन्द गुलशन