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जहाँ भी आबो-दाना हो गया है / गोविन्द गुलशन

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जहाँ भी आबो-दाना हो गया है
वहीं अपना ठिकाना हो गया है

हमारे ख़्वाब का ताबीर से अब
तअ'र्रूफ़ ग़ायबाना हो गया है

हम अपने दिल का सौदा कर तो लेते
मगर दुश्मन ज़माना हो गया है

खिलौने के लिए करता नहीं ज़िद
मेरा बच्चा सयाना हो गया है

लिखा था उसने जो परदेस जाकर
वो ख़त भी अब पुराना हो गया है