आँखों वाले धोका खाने वाले हैं / गोविन्द गुलशन

आँखों वाले धोका खाने वाले हैं
बेपर्दा वो सामने आने वाले हैं

यादों का मौसम बरसाती होता है
पानी लेकर बादल आने वाले हैं

मैं अपनी परछाईं से डर जाता हूँ
अपने हैं, जो लोग डराने वाले हैं

बदला है वो और न बदलेगा शायद
उसके वो ही हाल पुराने वाले हैं

दरिया देख रहा है कितनी हसरत से
लेकिन हम कब प्यास बुझाने वाले हैं

जादूगर आँखों से जादू करता है
सबके सब पत्थर हो जाने वाले हैं

हम तो अपने मन के राजा हैं 'गुलशन'
हम किसकी बातों में आने वाले हैं

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