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"सावन आवन हेरि सखी / घनानंद" के अवतरणों में अंतर
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17:52, 9 फ़रवरी 2010 के समय का अवतरण
सावन आवन हेरि सखी,
मनभावन आवन चोप विसेखी ।
छाए कहूँ घनआनँद जान,
सम्हारि की ठौर लै भूल न लेखी ॥
बूंदैं लगै, सब अंग दगै,
उलटी गति आपने पापन पेखी ।
पौन सों जागत आगि सुनी ही.
पै पानी सों लागत आँखिन देखी ॥