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"ज़द में / आलोक श्रीवास्तव-२" के अवतरणों में अंतर

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16:38, 12 फ़रवरी 2010 के समय का अवतरण

अपनी ही छाया से डर लगता है

अपने ही स्वप्न
आतंकित करते-से लगते हैं

तुम ज़द में तो हो
पर किसी के ज़द में होने का ख्याल ही
कितना अजीब है

कितना भारी पड़ रहा है
प्यार दिलों-दिमाग़ पर!