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"जो है सो है / त्रिलोचन" के अवतरणों में अंतर
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05:14, 22 फ़रवरी 2010 के समय का अवतरण
खिले फूलों से ही खिंच कर रमे जो भुवन में
अभावों की छाया पकड़ कर भावांत उन का
दिखाएगी, क्या है ललित रचना, शून्य मन की.
यहाँ जो है सो है विवश पद की धूल बन के ।
