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"दुश्मन / प्रीत में है जीवन" के अवतरणों में अंतर
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08:12, 22 फ़रवरी 2010 के समय का अवतरण
रचनाकार: आरजू लखनवी , गायक:के.एल.सहगल |
प्रीत में है जीवन जोखों, कि जैसे कोल्हू में सरसों
प्रीत में है जीवन जोखों..
भोर सुहानी चंचल बालक, लरकाई (लडकाई) दिखलाये
हाथ से बैठा गढे खिलौने,पैर से तोडत जाये..
वो तो है, वो तो है, एक मूरख बालक,तू तो नहीं नादान
आप बनाये आप बिगाडे, ये नहीं तेरी शान