भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

"अगर यूँ ही ये दिल सताता रहेगा / ख़्वाजा मीर दर्द" के अवतरणों में अंतर

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज
छो
 
पंक्ति 4: पंक्ति 4:
 
}}
 
}}
 
[[category: ग़ज़ल]]
 
[[category: ग़ज़ल]]
 +
<poem>
 +
अगर यों ही ये दिल सताता रहेगा
 +
तो इक दिन मेरा जी ही जाता रहेगा
  
अगर यों ही ये दिल सताता रहेगा <br>
+
मैं जाता हूँ दिल को तेरे पास छोड़े
तो इक दिन मेरा जी ही जाता रहेगा<br><br>
+
मेरी याद तुझको दिलाता रहेगा  
  
मैं जाता हूँ दिल को तेरे पास छोड़े <br>
+
गली से तेरी दिल को ले तो चला हूँ
मेरी याद तुझको दिलाता रहेगा <br><br>
+
मैं पहुँचूँगा जब तक ये आता रहेगा  
  
गली से तेरी दिल को ले तो चला हूँ <br>
+
क़फ़स<ref>पिंज़रा</ref> में कोई तुम से ऐ हम-सफ़ीरों
मैं पहुँचूँगा जब तक ये आता रहेगा <br><br>
+
ख़बर कल की हमको सुनाता रहेगा  
  
क़फ़स में कोई तुम से ऐ हम-सफ़ीरों <br>
+
ख़फ़ा हो कि ऐ "दर्द" मर तो चला तू  
ख़बर कल की हमको सुनाता रहेगा <br><br>
+
कहाँ तक ग़म अपना छुपाता रहेगा </poem>
 
+
{{KKMeaning}}
ख़फ़ा हो कि ऐ "दर्द" मर तो चला तू <br>
+
कहाँ तक ग़म अपना छुपाता रहेगा <br><br>
+

11:37, 1 मार्च 2010 के समय का अवतरण

अगर यों ही ये दिल सताता रहेगा
तो इक दिन मेरा जी ही जाता रहेगा

मैं जाता हूँ दिल को तेरे पास छोड़े
मेरी याद तुझको दिलाता रहेगा

गली से तेरी दिल को ले तो चला हूँ
मैं पहुँचूँगा जब तक ये आता रहेगा

क़फ़स<ref>पिंज़रा</ref> में कोई तुम से ऐ हम-सफ़ीरों
ख़बर कल की हमको सुनाता रहेगा

ख़फ़ा हो कि ऐ "दर्द" मर तो चला तू
कहाँ तक ग़म अपना छुपाता रहेगा

शब्दार्थ
<references/>