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"रस के प्रयोगनि के सुखद सु जोगनि के / जगन्नाथदास ’रत्नाकर’" के अवतरणों में अंतर
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रस के प्रयोगनि के सुखद सु जोगनि के, | रस के प्रयोगनि के सुखद सु जोगनि के, | ||
− | जेते उपचार चारु मंजु सुखदाई हैं । | + | ::जेते उपचार चारु मंजु सुखदाई हैं । |
तिनके चलावन की चरचा चलावै कौन, | तिनके चलावन की चरचा चलावै कौन, | ||
− | देत ना सुदर्शन हूँ यौं सुधि सिराई हैं ॥ | + | ::देत ना सुदर्शन हूँ यौं सुधि सिराई हैं ॥ |
करत उपाय ना सुभाय लखि नारिनि को, | करत उपाय ना सुभाय लखि नारिनि को, | ||
− | भाय क्यौं अनारिनि कौ भरत कन्हाई हैं । | + | ::भाय क्यौं अनारिनि कौ भरत कन्हाई हैं । |
ह्याँ तौ विषमज्वर-वियोग की चढ़ाई भई, | ह्याँ तौ विषमज्वर-वियोग की चढ़ाई भई, | ||
− | पाती कौन रोग की पठावत दवाई है ॥34॥ | + | ::पाती कौन रोग की पठावत दवाई है ॥34॥ |
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09:13, 2 मार्च 2010 के समय का अवतरण
रस के प्रयोगनि के सुखद सु जोगनि के,
जेते उपचार चारु मंजु सुखदाई हैं ।
तिनके चलावन की चरचा चलावै कौन,
देत ना सुदर्शन हूँ यौं सुधि सिराई हैं ॥
करत उपाय ना सुभाय लखि नारिनि को,
भाय क्यौं अनारिनि कौ भरत कन्हाई हैं ।
ह्याँ तौ विषमज्वर-वियोग की चढ़ाई भई,
पाती कौन रोग की पठावत दवाई है ॥34॥