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"षटरस-व्यंजन तौ रंजन सदा ही करें / जगन्नाथदास ’रत्नाकर’" के अवतरणों में अंतर
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षटरस-व्यंजन तौ रंजन सदा ही करें, | षटरस-व्यंजन तौ रंजन सदा ही करें, | ||
− | ऊधौ नवनीत हूँ सप्रीति कहूँ पावै हैं । | + | ::ऊधौ नवनीत हूँ सप्रीति कहूँ पावै हैं । |
कहै रतनाकर बिरद तौ बखानैं सब, | कहै रतनाकर बिरद तौ बखानैं सब, | ||
− | सांची कहौ केते कहि लालन लड़ावै हैं ॥ | + | ::सांची कहौ केते कहि लालन लड़ावै हैं ॥ |
रतन सिंहासन बिराजि पाकसासन लौं, | रतन सिंहासन बिराजि पाकसासन लौं, | ||
− | जग चहुँ पासनि तो शासन चलावै हैं । | + | ::जग चहुँ पासनि तो शासन चलावै हैं । |
जाइ जमुना तट पै कोऊ बट छाँह माहिं, | जाइ जमुना तट पै कोऊ बट छाँह माहिं, | ||
− | पांसुरी उमाहि कबौं बाँसुरी बजावै हैं ॥36॥ | + | ::पांसुरी उमाहि कबौं बाँसुरी बजावै हैं ॥36॥ |
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09:17, 2 मार्च 2010 के समय का अवतरण
षटरस-व्यंजन तौ रंजन सदा ही करें,
ऊधौ नवनीत हूँ सप्रीति कहूँ पावै हैं ।
कहै रतनाकर बिरद तौ बखानैं सब,
सांची कहौ केते कहि लालन लड़ावै हैं ॥
रतन सिंहासन बिराजि पाकसासन लौं,
जग चहुँ पासनि तो शासन चलावै हैं ।
जाइ जमुना तट पै कोऊ बट छाँह माहिं,
पांसुरी उमाहि कबौं बाँसुरी बजावै हैं ॥36॥