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"सुनि सुनि ऊधव की अकथ कहानी कान / जगन्नाथदास ’रत्नाकर’" के अवतरणों में अंतर
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सुनि सुनि ऊधव की अकथ कहानी कान, | सुनि सुनि ऊधव की अकथ कहानी कान, | ||
− | कोऊ थहरानी, कोऊ थानहिं थिरानी हैं । | + | ::कोऊ थहरानी, कोऊ थानहिं थिरानी हैं । |
कहै रतनाकर रिसानी बररानी कोऊ, | कहै रतनाकर रिसानी बररानी कोऊ, | ||
− | कोऊ बिलखानी, बिकलानी बिथकानी हैं ॥ | + | ::कोऊ बिलखानी, बिकलानी बिथकानी हैं ॥ |
कोऊ सेद-सानी, कोऊ भरि दृग-पानी रहीं, | कोऊ सेद-सानी, कोऊ भरि दृग-पानी रहीं, | ||
− | कोऊ घूमि-घूमि परीं भूमि मुरझानी हैं । | + | ::कोऊ घूमि-घूमि परीं भूमि मुरझानी हैं । |
कोऊ स्याम-स्याम कै बहकि बिललानी कोऊ, | कोऊ स्याम-स्याम कै बहकि बिललानी कोऊ, | ||
− | कोमल करेजौ थामि सहमि सुखानी हैं ॥33॥ | + | ::कोमल करेजौ थामि सहमि सुखानी हैं ॥33॥ |
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09:20, 2 मार्च 2010 के समय का अवतरण
सुनि सुनि ऊधव की अकथ कहानी कान,
कोऊ थहरानी, कोऊ थानहिं थिरानी हैं ।
कहै रतनाकर रिसानी बररानी कोऊ,
कोऊ बिलखानी, बिकलानी बिथकानी हैं ॥
कोऊ सेद-सानी, कोऊ भरि दृग-पानी रहीं,
कोऊ घूमि-घूमि परीं भूमि मुरझानी हैं ।
कोऊ स्याम-स्याम कै बहकि बिललानी कोऊ,
कोमल करेजौ थामि सहमि सुखानी हैं ॥33॥