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"भेजे मनभावन के उद्धव के आवन की / जगन्नाथदास ’रत्नाकर’" के अवतरणों में अंतर

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भेजे मनभावन के उद्धव के आवन की,  
 
भेजे मनभावन के उद्धव के आवन की,  
सुधि ब्रज-गाँवनि मैं पावन जबै लगीं ।
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::सुधि ब्रज-गाँवनि मैं पावन जबै लगीं ।
 
कहै रतनाकर गुवालिनि की झौरि-झौरि,
 
कहै रतनाकर गुवालिनि की झौरि-झौरि,
दौरि-दौरि नन्द पौरि आवन तबै लगीं ॥
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::दौरि-दौरि नन्द पौरि आवन तबै लगीं ॥
 
उझकि-उझकि पद-कंजनि के पंजनि पै,
 
उझकि-उझकि पद-कंजनि के पंजनि पै,
पेखि-पेखि पाती छाती छोहनि छवै लगीं ।
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::पेखि-पेखि पाती छाती छोहनि छवै लगीं ।
 
हमकौं लिख्यौ है कहा, हमकौं लिख्यौ है कहा,
 
हमकौं लिख्यौ है कहा, हमकौं लिख्यौ है कहा,
हमकौं लिख्यौ है कहा कहन सबैं लगीं ॥26॥
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::हमकौं लिख्यौ है कहा कहन सबैं लगीं ॥26॥
 
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09:22, 2 मार्च 2010 के समय का अवतरण

भेजे मनभावन के उद्धव के आवन की,
सुधि ब्रज-गाँवनि मैं पावन जबै लगीं ।
कहै रतनाकर गुवालिनि की झौरि-झौरि,
दौरि-दौरि नन्द पौरि आवन तबै लगीं ॥
उझकि-उझकि पद-कंजनि के पंजनि पै,
पेखि-पेखि पाती छाती छोहनि छवै लगीं ।
हमकौं लिख्यौ है कहा, हमकौं लिख्यौ है कहा,
हमकौं लिख्यौ है कहा कहन सबैं लगीं ॥26॥