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"देखि-देखि आतुरी बिकल-ब्रज-बारिन की / जगन्नाथदास ’रत्नाकर’" के अवतरणों में अंतर

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देखि-देखि आतुरी बिकल-ब्रज-बारिन की,
 
देखि-देखि आतुरी बिकल-ब्रज-बारिन की,
उद्धव की चातुरी सकल बहि जात है ।  
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::उद्धव की चातुरी सकल बहि जात है ।  
 
कहै रतनाकर कुशल कहि पूछि रहे,
 
कहै रतनाकर कुशल कहि पूछि रहे,
अपर सनेह की न बातैं कहि जात हैं ॥
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::अपर सनेह की न बातैं कहि जात हैं ॥
 
मौन रसना ह्वै जोग जदपि जमायो सबै,
 
मौन रसना ह्वै जोग जदपि जमायो सबै,
तदपि निरास-बासना न गहि जाति हैं ।
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::तदपि निरास-बासना न गहि जाति हैं ।
 
साहस कै कछुक उमाहि पूछिबै कौं ठाहि,
 
साहस कै कछुक उमाहि पूछिबै कौं ठाहि,
चाहि उत गोपिका कराहि रहि जाति हैं ॥27॥
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::चाहि उत गोपिका कराहि रहि जाति हैं ॥27॥
 
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09:22, 2 मार्च 2010 के समय का अवतरण

देखि-देखि आतुरी बिकल-ब्रज-बारिन की,
उद्धव की चातुरी सकल बहि जात है ।
कहै रतनाकर कुशल कहि पूछि रहे,
अपर सनेह की न बातैं कहि जात हैं ॥
मौन रसना ह्वै जोग जदपि जमायो सबै,
तदपि निरास-बासना न गहि जाति हैं ।
साहस कै कछुक उमाहि पूछिबै कौं ठाहि,
चाहि उत गोपिका कराहि रहि जाति हैं ॥27॥