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"न होगा यक बयाबां मांदगी से ज़ौक़ कम मेरा / ग़ालिब" के अवतरणों में अंतर

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22:40, 3 मार्च 2010 का अवतरण

न होगा यक बयाबाँ माँदगी से ज़ौक़ कम मेरा
हुबाब-ए-मौज-ए-रफ़्तार है, नक़्श-ए-क़दम मेरा

मुहब्बत थी चमन से, लेकिन अब ये बेदिमाग़ी है
के मौज-ए-बू-ए-गुल से नाक में आता है दम मेरा