भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

"सुरमा-ए-मुफ़्त-ए-नज़र हूँ मेरी क़ीमत ये है / ग़ालिब" के अवतरणों में अंतर

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज
पंक्ति 5: पंक्ति 5:
 
[[Category:ग़ज़ल]]
 
[[Category:ग़ज़ल]]
  
सुर्मा-ए-हफ़्त-ए-नज़र<ref>सात चीज़ें (सब कुछ) देखने वाला सुरमा</ref> हूँ, मेरी क़ीमत ये है <br>
+
<poem>
कि रहे चश्म-ए-ख़रीदार<ref>ख़रीदार की आँख</ref> पे एहसां अपना <br><br>
+
सुर्मा-ए-हफ़्त-ए-नज़र<ref>सात चीज़ें (सब कुछ) देखने वाला सुरमा</ref> हूँ, मेरी क़ीमत ये है
 
+
कि रहे चश्म-ए-ख़रीदार<ref>ख़रीदार की आँख</ref> पे एहसां मेरा
रुख़्सत-ए-नाला<ref>रोने की अनुमति</ref> मुझे दे कि मुबादा<ref>ऐसो ना हो</ref> ज़ालिम <br>
+
तेरे चेहरे से हो ज़ाहिर ग़म-ए-पिन्हां<ref>छिपा हुआ दुःख</ref> अपना <br><br>
+
  
 +
रुख़्सत-ए-नाला<ref>रोने की अनुमति</ref> मुझे दे कि मुबादा<ref>ऐसो ना हो</ref> ज़ालिम
 +
तेरे चेहरे से हो ज़ाहिर ग़म-ए-पिनहां<ref>छिपा हुआ दुःख</ref> मेरा
 +
</poem>
 
{{KKMeaning}}
 
{{KKMeaning}}

21:31, 6 मार्च 2010 का अवतरण

सुर्मा-ए-हफ़्त-ए-नज़र<ref>सात चीज़ें (सब कुछ) देखने वाला सुरमा</ref> हूँ, मेरी क़ीमत ये है
कि रहे चश्म-ए-ख़रीदार<ref>ख़रीदार की आँख</ref> पे एहसां मेरा

रुख़्सत-ए-नाला<ref>रोने की अनुमति</ref> मुझे दे कि मुबादा<ref>ऐसो ना हो</ref> ज़ालिम
तेरे चेहरे से हो ज़ाहिर ग़म-ए-पिनहां<ref>छिपा हुआ दुःख</ref> मेरा

शब्दार्थ
<references/>