भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

"कब वो सुनता है कहानी मेरी / ग़ालिब" के अवतरणों में अंतर

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज
 
छो
पंक्ति 1: पंक्ति 1:
kab wo sunta hai kahani meri
+
रचनाकार: [[ग़ालिब]]
aur phir wo bhi zabani meri
+
[[Category:कविताएँ]]
 +
[[Category:गज़ल]]
 +
[[Category:ग़ालिब]]
  
 +
~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*
  
khalish-e-gamza-e-khunrez na puch
+
कब वो सुनता है कहानी मेरी<br>
dekh khunbafishani meri
+
और फिर वो भी ज़बानी मेरी<br><br>
  
 +
ख़लिशे-ग़्मज़ा-ए-खूँरेज़ ना पूछ<br>
 +
देख खुनबफ़िशानी मेरी<br><br>
  
kya bayan kar k mera royege yar
+
क्या बयाँ करके मेरा रोएँगे यार<br>
magar ashufta-bayani meri
+
मगर अशुफ़्ता-बयानी मेरी<br><br>
  
 +
हूँ ज़िखुद रफ़्ता-ए-बैदा-ए-ख़्याल<br>
 +
भूल जाना है निशानी मेरी<br><br>
  
hun zikhud rafta-e-baida-e-khayal
+
मुत्काबिल है मुक़ाबिल मेरा<br>
bhul jana hai nishani meri
+
रुक गया देख रवानी मेरी<br><br>
  
 +
क़द्रे-संगे-सरे-राह रखता हूँ<br>
 +
सख़्त अर्ज़ान है गिरानी मेरी<br><br>
  
mutaqabil hai muqabil mera
+
दहन उसका जो न मालूम हुआ<br>
ruk gaya dekh rawani meri
+
खुल गयी है चमनदानी मेरी<br><br>
  
 
+
कर दिया ज़ौफ़ ने अज़ीज़ "ग़ालिब"<br>
qadr-e-sang-e-sar-e-rah rakhta hun
+
नंगे-पीरी है जवानी मेरी<br><br>
sakht arzan hai girani meri
+
 
+
 
+
dahan us ka jo na malum hua
+
khul gai hao chamandani meri
+
 
+
 
+
kar diya zof ne ajiz "Ghalib"  
+
nang-e-piri hai jawani meri
+

15:02, 3 मई 2007 का अवतरण

रचनाकार: ग़ालिब

~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*

कब वो सुनता है कहानी मेरी
और फिर वो भी ज़बानी मेरी

ख़लिशे-ग़्मज़ा-ए-खूँरेज़ ना पूछ
देख खुनबफ़िशानी मेरी

क्या बयाँ करके मेरा रोएँगे यार
मगर अशुफ़्ता-बयानी मेरी

हूँ ज़िखुद रफ़्ता-ए-बैदा-ए-ख़्याल
भूल जाना है निशानी मेरी

मुत्काबिल है मुक़ाबिल मेरा
रुक गया देख रवानी मेरी

क़द्रे-संगे-सरे-राह रखता हूँ
सख़्त अर्ज़ान है गिरानी मेरी

दहन उसका जो न मालूम हुआ
खुल गयी है चमनदानी मेरी

कर दिया ज़ौफ़ ने अज़ीज़ "ग़ालिब"
नंगे-पीरी है जवानी मेरी