"मेरा मींजा दिल / रघुवीर सहाय" के अवतरणों में अंतर
अनिल जनविजय (चर्चा | योगदान) |
अनिल जनविजय (चर्चा | योगदान) |
||
पंक्ति 15: | पंक्ति 15: | ||
मैं सुनता था। कोई छू ले कहीं | मैं सुनता था। कोई छू ले कहीं | ||
मेरी पीठ नहीं- आना जाना लोगों का | मेरी पीठ नहीं- आना जाना लोगों का | ||
− | + | हँसना गन्धाना- सीने में भरे साबूदाना | |
दाँतों की चमक सुथरी नाकें- वह रोज़-रोज़ | दाँतों की चमक सुथरी नाकें- वह रोज़-रोज़ | ||
इस रोज़ आज कल भी मुझ पर झुक जाएगी | इस रोज़ आज कल भी मुझ पर झुक जाएगी |
00:43, 8 मार्च 2010 का अवतरण
एक शोर में अगली सीट पे था
दुनिया का सबसे मीठा गाना
एक हाथ में मींजा दिल था मेरा
एक हाथ में था दिन का खाना।
इस डर से कि बस रुक जाएगी
आवाज जहां मैं दे दूँगा
मैं सुनता था। कोई छू ले कहीं
मेरी पीठ नहीं- आना जाना लोगों का
हँसना गन्धाना- सीने में भरे साबूदाना
दाँतों की चमक सुथरी नाकें- वह रोज़-रोज़
इस रोज़ आज कल भी मुझ पर झुक जाएगी
सूखी लड़की। चेहरा चेहरे चेहरों के मुँह
गाढ़े गोरे पक्के खुश चुप। अनजाने बेमन मुस्काना
मोटे बुजदिल। घुप। शहरों के।
तब मैं समझा
वह अनिता थी
अनिता? वह सीधी सलोतरी अपनी अनिता थी
रोज़ाना
जब तेज़ हुई बस
मैंने अंग्रेज़ी में कहा
ला कबाना
कोई सुन न सका।
मेरी खुशहाली के दिन में
मुझसे दो आने ले न सका। मैं हो न सका
मैं सो न सका। मैं रो न सका। मैं पों न सका
पों क्या माने?