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"नौ सपने / भाग 4 / अमृता प्रीतम" के अवतरणों में अंतर

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मेरे और मेरी कोख तक –
 
मेरे और मेरी कोख तक –

02:50, 8 मार्च 2010 के समय का अवतरण

मेरे और मेरी कोख तक –
यह सपनों का फ़ासला।

मेरा जिया हुलसा और हिया डरा,
बैसाख में कटने वाला
यह कैसा कनक था
छाज में फटकने को डाला
तो छाज तारों से भर गया...

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