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"अब आए या न आए / साहिर लुधियानवी" के अवतरणों में अंतर
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क्या चाहती है उनकी नज़र पूछते चलो | क्या चाहती है उनकी नज़र पूछते चलो | ||
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जो ख़ुद को कह रहे हैं कि मंज़िल शनास हैं | जो ख़ुद को कह रहे हैं कि मंज़िल शनास हैं | ||
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उनको भी क्या ख़बर है मगर पूछते चलो | उनको भी क्या ख़बर है मगर पूछते चलो | ||
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− | + | ऎ रहरवान-ए-ख़ाक बसर पूछते चलो | |
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12:03, 8 मार्च 2010 का अवतरण
अब आए या न आए इधर पूछते चलो
क्या चाहती है उनकी नज़र पूछते चलो
हम से अगर है तर्क-ए-ताल्लुक़ तो क्या हुआ
यारो ! कोई तो उनकी ख़बर पूछते चलो
जो ख़ुद को कह रहे हैं कि मंज़िल शनास हैं
उनको भी क्या ख़बर है मगर पूछते चलो
किस मंज़िल-ए-मुराद की जानिब रवाँ हैं हम
ऎ रहरवान-ए-ख़ाक बसर पूछते चलो