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लेखक: [[गा़लिब]]{{KKGlobal}}[[Category:कविताएँ]]{{KKRachna|रचनाकार= ग़ालिब|संग्रह= दीवाने-ग़ालिब / ग़ालिब}}[[Category:गज़लग़ज़ल]][[Category:गा़लिब]]<poem>आईना क्यूँ न दूँ कि तमाशा कहें जिसेऐसा कहाँ से लाऊँ कि तुझ-सा कहें जिसे
~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*हसरत ने ला रखा तेरी बज़्म-ए-ख़याल मेंगुलदस्ता-ए-निगाह सुवैदा<ref>दिल का दाग़</ref> कहें जिसे
आईना क्यूँ न दूँ के तमाशा कहें जिसेफूँका है किसने गोश-ए-मुहब्बत<brref>प्रेमी का कान</ref> में ऐ ख़ुदाऐसा कहाँ से लाऊँ के तुझसा कहें जिसेअफ़सून-ए-इन्तज़ार<brref>प्रतिज्ञा का जादू<br/ref>तमन्ना कहें जिसे
हसरत ने ला रखा तेरी बज़्मसर पर हुजूम-ए-ख़याल मेंदर्द-ए-ग़रीबी<brref>अकेले रहने की पीड़ा की अधिकता</ref> से डालियेगुलदस्तावो एक मुश्त-ए-निगाह सुवेदा कहें जिसेख़ाक<brref>एक मुठ्ठी मिट्टी<br/ref>कि सहरा<ref>रेगिस्तान</ref> कहें जिसे
फूँका है किसने गोशे मुहब्बत चश्म-ए-तर<ref>आँख</ref> में ऐ ख़ुदाहसरत-ए-दीदार से निहां<brref>छुपा हुआ</ref>अफ़सूनशौक़-ए-इन्तज़ार तमन्ना कहें जिसेअ़ना-गुसेख़्ता<brref>बेलगाम शौक़<br/ref>दरिया कहें जिसे
सर पर हुजूमदरकार है शगुफ़्तन-ए-दर्दगुल हाये-ए-ग़रीबी से डलियेऐश<brref>ऐश्वर्य के फूलों को खिलने के लिए</ref> कोवो एक मुश्तसुबह-ए-ख़ाक के सहरा कहें जिसेबहार पम्बा-ए-मीना<brref>शराब की सुराही पर रखा हुआ रुई के फाहा<br/ref>कहें जिसे
है चश्म-ए-तर में हसरत-ए-दीदार से निहाँ<br>शौक़-ए-इनाँ गुसेख़्ता दरिया कहें जिसे<br><br> दरकार है शिगुफ़्तन-ए-गुल हाये ऐश को<br>सुबह-ए-बहार पंबा-ए-मीना कहें जिसे<br><br> "गा़लिब" बुरा न मान जो वाइज़ <ref>उपदेशक</ref> बुरा कहे<br>ऐसा भी कोई है के कि सब अच्छा कहें जिसे <br><br/poem>{{KKMeaning}}
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