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"अपनी बेटी के लिए-4 / प्रमोद त्रिवेदी" के अवतरणों में अंतर

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ज़िन्दगी में होने चाहिए कुच स्वाद
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ज़िन्दगी में होने चाहिए कुछ स्वाद
 
कुछ रस-कुछ ऊर्जा
 
कुछ रस-कुछ ऊर्जा
 
टूटनी नहीं चाहिए लय।
 
टूटनी नहीं चाहिए लय।

13:20, 14 मार्च 2010 के समय का अवतरण

ज़िन्दगी में होने चाहिए कुछ स्वाद
कुछ रस-कुछ ऊर्जा
टूटनी नहीं चाहिए लय।

माना भोलेपन का नहीं है समय
न ही समय है आलाप के विस्तार का
है यह शुद्ध हिसाबी-किताबी समय
तब भी थोड़ी तो बनी ही रहनी चाहिए
जीवन में बेवकूफ़ियाँ