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"हम रश्क को अपने भी गवारा नहीं करते / ग़ालिब" के अवतरणों में अंतर
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06:36, 15 मार्च 2010 के समय का अवतरण
हम रश्क<ref>ईर्ष्या</ref> को अपने भी गवारा<ref>सहमत होना</ref> नहीं करते
मरते हैं, वले<ref>लेकिन</ref> उन की तमन्ना नहीं करते
दर पर्दा<ref>परदे के पीछे</ref>, उन्हें ग़ैर से है रब्त-ए-निहानी<ref>गुप्त मित्रता</ref>
ज़ाहिर<ref>दिखावा</ref> का ये पर्दा है कि पर्दा नहीं करते
यह बाइस-ए-नौमीदी-ए-अरबाब-ए-हवस<ref>कामुक लोगों की निराशगी का कारण</ref> है
"ग़ालिब" को बुरा कहते हो अच्छा नहीं करते
शब्दार्थ
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