भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
"तग़ाफ़ुल-दोस्त हूँ मेरा दिमाग़-ए-अ़ज्ज़ आ़ली है / ग़ालिब" के अवतरणों में अंतर
Kavita Kosh से
Sandeep Sethi (चर्चा | योगदान) (नया पृष्ठ: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार= ग़ालिब |संग्रह= दीवाने-ग़ालिब / ग़ालिब }} [[Category:ग़ज…) |
(कोई अंतर नहीं)
|
00:01, 18 मार्च 2010 के समय का अवतरण
तग़ाफ़ुल<ref>बेपरवाही</ref>-दोस्त हूँ, मेरा दिमाग़-ए-अ़जज़<ref>घमण्ड की कमज़ोरी</ref> आ़ली<ref>बड़ी</ref> है
अगर पहलू-तही<ref>एक तरफ हटाना</ref> कीजे, तो जा<ref>जगह</ref> मेरी भी ख़ाली है
रहा आबाद आ़लम, अहल-ए हिम्मत<ref>बहादुर लोग</ref> के न होने से
भरे हैं जिस क़दर जाम-ओ-सुबू<ref>प्याला और सुराही</ref> मैख़ाना ख़ाली है
शब्दार्थ
<references/>