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"पूरब और पश्चिम / है प्रीत जहाँ की रीत सदा" के अवतरणों में अंतर

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जब जीरो दिया मेरे भारत ने <br />
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भारत ने मेरे भारत ने <br />
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जब ज़ीरो दिया मेरे भारत ने, दुनिया को तब गिनती आई
दुनिया को तब गिनती आयी <br />
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तारों की भाषा भारत ने, दुनिया को पहले सिखलाई
तारों की भाषा भारत ने दुनिया को पहले सिखलाई <br />
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देता न दशमलव भारत तो यूँ चाँद पे जाना मुश्किल था <br />
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धरती और चाँद की दूरी का अंदाजा लगाना मुश्किल था <br /><br />
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सभ्यता जहां पहले -२ <br />
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देता ना दशमलव भारत तो, यूँ चाँद पे जाना मुश्किल था
पहले जन्मी है जहाँ पे कला <br />
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धरती और चाँद की दूरी का, अंदाज़ लगाना मुश्किल था
अपना भारत वो भारत है, जिसके पिच्छे संसार चला <br />
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संसार चला और आगे बढ़ा, यूँ आगे बढ़ा बढ़ता ही गया <br />
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भगवन करे ये और बढे, बढ़ता ही रहे ओर फुले फले <br />
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हो हो हो <br /> <br />
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है प्रीत जहाँ की रीत सदा -३ <br />
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मै गीत वहाँ के गाता हूँ, भारत का रहने वाला हूँ, भारत की बात सुनाता हूँ <br />
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है प्रीत जहाँ की रीत सदा <br /> <br />
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काले गोरे का भेद नहीं, हर दिल से हमारा नाता है..... <br />
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सभ्यता जहाँ पहले आई, पहले जनमी है जहाँ पे कला
कुछ ओर ना आता हो हमको, हमे प्यार निभाना आता है <br />
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अपना भारत वो भारत है, जिसके पीछे संसार चला
जिसे मान चुकी सारी दुनिया, हो जिसे मान चुकी सारी दुनिया <br />
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संसार चला और आगे बढ़ा, ज्यूँ आगे बढ़ा, बढ़ता ही गया
मै बात, मै बात वही दोहराता हूँ <br />
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भगवान करे ये और बढ़े, बढ़ता ही रहे और फूले-फले
भारत का रहने वाला हूँ, भारत की बात सुनाता हूँ <br />
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है प्रीत की रीत सदा <br /> <br />
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जीते हों किसी ने देश तो क्या, हमने तो दिलों को जीता है <br />
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है प्रीत जहाँ की रीत सदा, मैं गीत वहाँ के गाता हूँ
जहां राम अभी तक है नर में, नारी में अभी तक सीता है <br />
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भारत का रहने वाला हूँ, भारत की बात सुनाता हूँ  
इतने पवन हैं लोग जहां, हो इतने पवन हैं लोग जहां  <br />
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मै नित नित, मै नित नित शीश झुकता हूँ <br />
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भारत का रहने वाला हूँ भरा की बात सुनाता हूँ <br /><br />
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इतनी ममता नदियों को भी जहा माता कहके बुलाते हैं <br />
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काले-गोरे का भेद नहीं, हर दिल से हमारा नाता है
इतना आदर, इंसान तो क्या पत्थर भी पूजे जाते हैं <br />
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कुछ और न आता हो हमको, हमें प्यार निभाना आता है
उस धरती में मैंने जन्म लिया हो उस धरती पे मैंने जन्म लिया <br />
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जिसे मान चुकी सारी दुनिया, मैं बात वही दोहराता हूँ
ये सोच, ये सोच के मै इतराता हूँ <br />
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भारत का रहने वाला हूँ, भारत की बात सुनाता हूँ
भारत का रहने वाला हो भारत की बात सुनाता हूँ <br />
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है प्रीत जहा की रीत सदा <br />
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जीते हो किसीने देश तो क्या, हमने तो दिलों को जीता है
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जहाँ राम अभी तक है नर में, नारी में अभी तक सीता है
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इतने पावन हैं लोग जहाँ, मैं नित-नित शीश झुकाता हूँ
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भारत का रहने वाला हूँ, भारत की बात सुनाता हूँ
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इतनी ममता नदियों को भी, जहाँ माता कहके बुलाते है
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इतना आदर इन्सान तो क्या, पत्थर भी पूजे जातें है
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भारत का रहने वाला हूँ, भारत की बात सुनाता हूँ  
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20:43, 19 मार्च 2010 के समय का अवतरण

रचनाकार: इंदीवर                 

जब ज़ीरो दिया मेरे भारत ने, दुनिया को तब गिनती आई
तारों की भाषा भारत ने, दुनिया को पहले सिखलाई

देता ना दशमलव भारत तो, यूँ चाँद पे जाना मुश्किल था
धरती और चाँद की दूरी का, अंदाज़ लगाना मुश्किल था

सभ्यता जहाँ पहले आई, पहले जनमी है जहाँ पे कला
अपना भारत वो भारत है, जिसके पीछे संसार चला
संसार चला और आगे बढ़ा, ज्यूँ आगे बढ़ा, बढ़ता ही गया
भगवान करे ये और बढ़े, बढ़ता ही रहे और फूले-फले

है प्रीत जहाँ की रीत सदा, मैं गीत वहाँ के गाता हूँ
भारत का रहने वाला हूँ, भारत की बात सुनाता हूँ

काले-गोरे का भेद नहीं, हर दिल से हमारा नाता है
कुछ और न आता हो हमको, हमें प्यार निभाना आता है
जिसे मान चुकी सारी दुनिया, मैं बात वही दोहराता हूँ
भारत का रहने वाला हूँ, भारत की बात सुनाता हूँ

जीते हो किसीने देश तो क्या, हमने तो दिलों को जीता है
जहाँ राम अभी तक है नर में, नारी में अभी तक सीता है
इतने पावन हैं लोग जहाँ, मैं नित-नित शीश झुकाता हूँ
भारत का रहने वाला हूँ, भारत की बात सुनाता हूँ

इतनी ममता नदियों को भी, जहाँ माता कहके बुलाते है
इतना आदर इन्सान तो क्या, पत्थर भी पूजे जातें है
उस धरती पे मैंने जन्म लिया, ये सोच के मैं इतराता हूँ
भारत का रहने वाला हूँ, भारत की बात सुनाता हूँ