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"अब आए या न आए / साहिर लुधियानवी" के अवतरणों में अंतर

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किस मंज़िल-ए-मुराद की जानिब रवाँ हैं हम
 
किस मंज़िल-ए-मुराद की जानिब रवाँ हैं हम
रहरवान-ए-ख़ाक बसर पूछते चलो
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रहरवान-ए-ख़ाक बसर पूछते चलो
 
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22:00, 20 मार्च 2010 के समय का अवतरण

अब आए या न आए इधर पूछते चलो
क्या चाहती है उनकी नज़र पूछते चलो

हम से अगर है तर्क-ए-ताल्लुक़ तो क्या हुआ
यारो ! कोई तो उनकी ख़बर पूछते चलो

जो ख़ुद को कह रहे हैं कि मंज़िल शनास हैं
उनको भी क्या ख़बर है मगर पूछते चलो

किस मंज़िल-ए-मुराद की जानिब रवाँ हैं हम
ऐ रहरवान-ए-ख़ाक बसर पूछते चलो