"वे लै दे मैंनू मखमल दी पख्खी घुंगुरुँआं वाली / पंजाबी" के अवतरणों में अंतर
Sandeep Sethi (चर्चा | योगदान) |
Sandeep Sethi (चर्चा | योगदान) छो () |
(कोई अंतर नहीं)
|
18:59, 22 मार्च 2010 के समय का अवतरण
- अंगिका लोकगीत
- अवधी लोकगीत
- कन्नौजी लोकगीत
- कश्मीरी लोकगीत
- कोरकू लोकगीत
- कुमाँऊनी लोकगीत
- खड़ी बोली लोकगीत
- गढ़वाली लोकगीत
- गुजराती लोकगीत
- गोंड लोकगीत
- छत्तीसगढ़ी लोकगीत
- निमाड़ी लोकगीत
- पंजाबी लोकगीत
- पँवारी लोकगीत
- बघेली लोकगीत
- बाँगरू लोकगीत
- बांग्ला लोकगीत
- बुन्देली लोकगीत
- बैगा लोकगीत
- ब्रजभाषा लोकगीत
- भदावरी लोकगीत
- भील लोकगीत
- भोजपुरी लोकगीत
- मगही लोकगीत
- मराठी लोकगीत
- माड़िया लोकगीत
- मालवी लोकगीत
- मैथिली लोकगीत
- राजस्थानी लोकगीत
- संथाली लोकगीत
- संस्कृत लोकगीत
- हरियाणवी लोकगीत
- हिन्दी लोकगीत
- हिमाचली लोकगीत
वे लै दे मैंनू मखमल दी पख्खी घुंगुरुँआं वाली,
वे लै दे मैंनू मखमल दी पख्खी घुंगुरुँआं वाली ।
कीता मुड़के पाणी पाणी,
भिज गया मेरा सूट जापानी,
पिघले गर्मी नाल जवानी,
मखणा नाल जो पाली,
वे लै दे मैंनू मखमल दी पख्खी घुंगुरुँआं वाली ।
रंग मेरा जिवें अंब सिन्दूरी,
कूले हथ्थ जिओं घ्यो दी चूरी,
फूँक भरा ए पख्खा खजूरी,
तलियां दी जड़ गाली,
वे लै दे मैंनू मखमल दी पख्खी घुंगुरुँआं वाली ।
रूप मेरे दा जे लैणा नज़ारा,
सुण वे पिंड देया लम्बड़दारा,
मन्न लै आखा ना ला लारा,
कहन्दीऊ हीर सियाली,
वे लै दे मैंनू मखमल दी पख्खी घुंगुरुँआं वाली ।
बिजली दे पख्खेयाँ लाईयां बहारां,
सुखी शहर दियाँ सब मुटियारां,
झल्लन पखियाँ पिंड दीआं नारां,
आये न बिजली हाली,
वे लै दे मैंनू मखमल दी पख्खी घुंगुरुँआं वाली ।