"दिल मेरा सोज़े-निहां से बेमहाबा जल गया / ग़ालिब" के अवतरणों में अंतर
Lalit Kumar (चर्चा | योगदान) |
Sandeep Sethi (चर्चा | योगदान) छो |
||
(इसी सदस्य द्वारा किये गये बीच के 5 अवतरण नहीं दर्शाए गए) | |||
पंक्ति 2: | पंक्ति 2: | ||
{{KKRachna | {{KKRachna | ||
|रचनाकार=ग़ालिब | |रचनाकार=ग़ालिब | ||
+ | |संग्रह= दीवाने-ग़ालिब / ग़ालिब | ||
}} | }} | ||
[[Category:ग़ज़ल]] | [[Category:ग़ज़ल]] | ||
+ | <poem> | ||
+ | दिल मेरा सोज़े-निहां<ref>आंतरिक जलन</ref> से बेमहाबा<ref>एकदम</ref> जल गया | ||
+ | आतिशे-ख़ामोश<ref>मूक आग</ref> के मानिन्द गोया जल गया | ||
− | दिल | + | दिल में ज़ौक़े<ref>चाह</ref>-वस्लों<ref>मिलन</ref>-यादे-यार तक बाक़ी नहीं |
− | + | आग इस घर को लगी ऐसी कि जो था जल गया | |
− | + | मैं अ़दम<ref>अस्तित्वहीनता</ref> से भी परे हूँ वर्ना ग़ाफ़िल<ref>बे-परवाह</ref> बारहा<ref>कई बार</ref> | |
− | + | मेरी आहे-आतशीं<ref>जलती हुई आह</ref> से बोले-अ़न्क़ा<ref>अ़नक़ा नामक पक्षी का पंख</ref> जल गया | |
− | + | अर्ज़ कीजे जौहर-ए-अन्देशा<ref>चिंता की प्रकृति</ref> की गर्मी कहाँ | |
− | + | कुछ ख़याल आया था वहशत का कि सेहरा जल गया | |
− | + | दिल नहीं, तुझ को दिखाता वरना दाग़ों की बहार | |
− | + | इस चिराग़ां का करूँ क्या, कारफ़र्मा<ref>कार्यकर्ता</ref> जल गया | |
− | + | मैं हूँ और अफ़सुर्दगी<ref>उदासी</ref> की आरज़ू "ग़ालिब" के दिल | |
− | + | देखकर तर्ज़े-तपाके<ref>व्यवहार का ढंग</ref>-अहल<ref>लोग</ref>-ए-दुनिया जल गया </poem> | |
− | + | {{KKMeaning}} | |
− | + | ||
− | + |
06:51, 23 मार्च 2010 के समय का अवतरण
दिल मेरा सोज़े-निहां<ref>आंतरिक जलन</ref> से बेमहाबा<ref>एकदम</ref> जल गया
आतिशे-ख़ामोश<ref>मूक आग</ref> के मानिन्द गोया जल गया
दिल में ज़ौक़े<ref>चाह</ref>-वस्लों<ref>मिलन</ref>-यादे-यार तक बाक़ी नहीं
आग इस घर को लगी ऐसी कि जो था जल गया
मैं अ़दम<ref>अस्तित्वहीनता</ref> से भी परे हूँ वर्ना ग़ाफ़िल<ref>बे-परवाह</ref> बारहा<ref>कई बार</ref>
मेरी आहे-आतशीं<ref>जलती हुई आह</ref> से बोले-अ़न्क़ा<ref>अ़नक़ा नामक पक्षी का पंख</ref> जल गया
अर्ज़ कीजे जौहर-ए-अन्देशा<ref>चिंता की प्रकृति</ref> की गर्मी कहाँ
कुछ ख़याल आया था वहशत का कि सेहरा जल गया
दिल नहीं, तुझ को दिखाता वरना दाग़ों की बहार
इस चिराग़ां का करूँ क्या, कारफ़र्मा<ref>कार्यकर्ता</ref> जल गया
मैं हूँ और अफ़सुर्दगी<ref>उदासी</ref> की आरज़ू "ग़ालिब" के दिल
देखकर तर्ज़े-तपाके<ref>व्यवहार का ढंग</ref>-अहल<ref>लोग</ref>-ए-दुनिया जल गया