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"नेमु ब्रत संजम के आसन अखंड लाइ / जगन्नाथदास ’रत्नाकर’" के अवतरणों में अंतर
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::धूरि हूँ दरैंगी जऊ अंग छिलि जाइगौ ॥ | ::धूरि हूँ दरैंगी जऊ अंग छिलि जाइगौ ॥ | ||
पांच आंच हूँ की झार झेलिहैं निहारि जाहि | पांच आंच हूँ की झार झेलिहैं निहारि जाहि | ||
− | रावरौ हू कठिन करेजौ हिलि जाइगौ । | + | ::रावरौ हू कठिन करेजौ हिलि जाइगौ । |
सहिहैं तिहारे कहैं सांसति सबै पै बस | सहिहैं तिहारे कहैं सांसति सबै पै बस | ||
− | एती कहि देहु कै कन्हैया मिलि जाइगौ ॥61॥ | + | ::एती कहि देहु कै कन्हैया मिलि जाइगौ ॥61॥ |
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16:28, 25 मार्च 2010 के समय का अवतरण
नेम ब्रत संजम कै आसन अखंड लाइ
साँसनि कौं घूँटिहैं जहाँ लौं गिलि जाइगौ ।
कहै रतनाकर धरैंगी मृगछाला अरु
धूरि हूँ दरैंगी जऊ अंग छिलि जाइगौ ॥
पांच आंच हूँ की झार झेलिहैं निहारि जाहि
रावरौ हू कठिन करेजौ हिलि जाइगौ ।
सहिहैं तिहारे कहैं सांसति सबै पै बस
एती कहि देहु कै कन्हैया मिलि जाइगौ ॥61॥