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"अब ख़ुशी है न कोई ग़म रुलाने वाला / निदा फ़ाज़ली" के अवतरणों में अंतर
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जिस तरफ़ देखिए आने को है आने वाला | जिस तरफ़ देखिए आने को है आने वाला | ||
06:34, 29 मार्च 2010 के समय का अवतरण
अब खुशी है न कोई ग़म रुलाने वाला
हमने अपना लिया हर रंग ज़माने वाला
हर बे-चेहरा सी उम्मीद है चेहरा चेहरा
जिस तरफ़ देखिए आने को है आने वाला
उसको रुखसत तो किया था मुझे मालूम न था
सारा घर ले गया घर छोड़ के जाने वाला
दूर के चांद को ढूंढ़ो न किसी आँचल में
ये उजाला नहीं आंगन में समाने वाला
इक मुसाफ़िर के सफ़र जैसी है सबकी दुनिया
कोई जल्दी में कोई देर में जाने वाला