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"घर हमारा जो न रोते भी तो वीरां होता / ग़ालिब" के अवतरणों में अंतर
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बादे-यक उम्र-वराअ<ref>उम्र भर के संयम का बाद</ref> बार<ref>प्रवेश-आज्ञा</ref> तो देता बारे<ref>ज़रूर</ref> | बादे-यक उम्र-वराअ<ref>उम्र भर के संयम का बाद</ref> बार<ref>प्रवेश-आज्ञा</ref> तो देता बारे<ref>ज़रूर</ref> | ||
काश, रिज़्वां<ref>स्वर्ग का दरबान</ref> ही दर-ए-यार का दरबां होता | काश, रिज़्वां<ref>स्वर्ग का दरबान</ref> ही दर-ए-यार का दरबां होता | ||
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21:14, 6 अप्रैल 2010 के समय का अवतरण
घर हमारा जो न रोते भी तो वीरां<ref>बरबाद</ref> होता
बहर<ref>समुद्र</ref> गर बहर न होता तो बयाबां<ref>उज़ाड़,रेगिस्तान</ref> होता
तंगी-ए-दिल का गिला क्या ये वो काफ़िर दिल है
कि अगर तंग न होता, तो परेशां होता
बादे-यक उम्र-वराअ<ref>उम्र भर के संयम का बाद</ref> बार<ref>प्रवेश-आज्ञा</ref> तो देता बारे<ref>ज़रूर</ref>
काश, रिज़्वां<ref>स्वर्ग का दरबान</ref> ही दर-ए-यार का दरबां होता
शब्दार्थ
<references/>