"कुछ सूचनाएँ / धूमिल" के अवतरणों में अंतर
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सबसे अधिक हत्याएँ | सबसे अधिक हत्याएँ | ||
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समन्वयवादियों ने की। | समन्वयवादियों ने की। | ||
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दार्शनिकों ने | दार्शनिकों ने | ||
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सबसे अधिक ज़ेवर खरीदा। | सबसे अधिक ज़ेवर खरीदा। | ||
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भीड़ ने कल बहुत पीटा | भीड़ ने कल बहुत पीटा | ||
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उस आदमी को | उस आदमी को | ||
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जिस का मुख ईसा से मिलता था। | जिस का मुख ईसा से मिलता था। | ||
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वह कोई और महीना था। | वह कोई और महीना था। | ||
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जब प्रत्येक टहनी पर फूल खिलता था, | जब प्रत्येक टहनी पर फूल खिलता था, | ||
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किंतु इस बार तो | किंतु इस बार तो | ||
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मौसम बिना बरसे ही चला गया | मौसम बिना बरसे ही चला गया | ||
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न कहीं घटा घिरी | न कहीं घटा घिरी | ||
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न बूँद गिरी | न बूँद गिरी | ||
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फिर भी लोगों में टी.बी. के कीटाणु | फिर भी लोगों में टी.बी. के कीटाणु | ||
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कई प्रतिशत बढ़ गए | कई प्रतिशत बढ़ गए | ||
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कई बौखलाए हुए मेंढक | कई बौखलाए हुए मेंढक | ||
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कुएँ की काई लगी दीवाल पर | कुएँ की काई लगी दीवाल पर | ||
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चढ़ गए, | चढ़ गए, | ||
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और सूरज को धिक्कारने लगे | और सूरज को धिक्कारने लगे | ||
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--व्यर्थ ही प्रकाश की बड़ाई में बकता है | --व्यर्थ ही प्रकाश की बड़ाई में बकता है | ||
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सूरज कितना मजबूर है | सूरज कितना मजबूर है | ||
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कि हर चीज़ पर एक सा चमकता है। | कि हर चीज़ पर एक सा चमकता है। | ||
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हवा बुदबुदाती है | हवा बुदबुदाती है | ||
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बात कई पर्तों से आती है— | बात कई पर्तों से आती है— | ||
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एक बहुत बारीक पीला कीड़ा | एक बहुत बारीक पीला कीड़ा | ||
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आकाश छू रहा था, | आकाश छू रहा था, | ||
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और युवक मीठे जुलाब की गोलियाँ खा कर | और युवक मीठे जुलाब की गोलियाँ खा कर | ||
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शौचालयों के सामने | शौचालयों के सामने | ||
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पँक्तिबद्ध खड़े हैं। | पँक्तिबद्ध खड़े हैं। | ||
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आँखों में ज्योति के बच्चे मर गए हैं | आँखों में ज्योति के बच्चे मर गए हैं | ||
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लोग खोई हुई आवाज़ों में | लोग खोई हुई आवाज़ों में | ||
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एक दूसरे की सेहत पूछते हैं | एक दूसरे की सेहत पूछते हैं | ||
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और बेहद डर गए हैं। | और बेहद डर गए हैं। | ||
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सब के सब | सब के सब | ||
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रोशनी की आँच से | रोशनी की आँच से | ||
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कुछ ऐसे बचते हैं | कुछ ऐसे बचते हैं | ||
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कि सूरज को पानी से | कि सूरज को पानी से | ||
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रचते हैं। | रचते हैं। | ||
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बुद्ध की आँख से खून चू रहा था | बुद्ध की आँख से खून चू रहा था | ||
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नगर के मुख्य चौरस्ते पर | नगर के मुख्य चौरस्ते पर | ||
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शोकप्रस्ताव पारित हुए, | शोकप्रस्ताव पारित हुए, | ||
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हिजड़ो ने भाषण दिए | हिजड़ो ने भाषण दिए | ||
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लिंग-बोध पर, | लिंग-बोध पर, | ||
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वेश्याओं ने कविताएँ पढ़ीं | वेश्याओं ने कविताएँ पढ़ीं | ||
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आत्म-शोध पर | आत्म-शोध पर | ||
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प्रेम में असफल छात्राएँ | प्रेम में असफल छात्राएँ | ||
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अध्यापिकाएँ बन गई हैं | अध्यापिकाएँ बन गई हैं | ||
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और रिटायर्ड बूढ़े | और रिटायर्ड बूढ़े | ||
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सर्वोदयी- | सर्वोदयी- | ||
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आदमी की सबसे अच्छी नस्ल | आदमी की सबसे अच्छी नस्ल | ||
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युद्धों में नष्ट हो गई, | युद्धों में नष्ट हो गई, | ||
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देश का सबसे अच्छा स्वास्थ्य | देश का सबसे अच्छा स्वास्थ्य | ||
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विद्यालयों में | विद्यालयों में | ||
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संक्रामक रोगों से ग्रस्त है | संक्रामक रोगों से ग्रस्त है | ||
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(मैंने राष्ट्र के कर्णधारों को | (मैंने राष्ट्र के कर्णधारों को | ||
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सड़को पर | सड़को पर | ||
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किश्तियों की खोज में | किश्तियों की खोज में | ||
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भटकते हुए देखा है) | भटकते हुए देखा है) | ||
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संघर्ष की मुद्रा में घायल पुरुषार्थ | संघर्ष की मुद्रा में घायल पुरुषार्थ | ||
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भीतर ही भीतर | भीतर ही भीतर | ||
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एक निःशब्द विस्फोट से त्रस्त है | एक निःशब्द विस्फोट से त्रस्त है | ||
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पिकनिक से लौटी हुई लड़कियाँ | पिकनिक से लौटी हुई लड़कियाँ | ||
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प्रेम-गीतों से गरारे करती हैं | प्रेम-गीतों से गरारे करती हैं | ||
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सबसे अच्छे मस्तिष्क, | सबसे अच्छे मस्तिष्क, | ||
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आरामकुर्सी पर | आरामकुर्सी पर | ||
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चित्त पड़े हैं। | चित्त पड़े हैं। | ||
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09:39, 16 अप्रैल 2010 के समय का अवतरण
सबसे अधिक हत्याएँ
समन्वयवादियों ने की।
दार्शनिकों ने
सबसे अधिक ज़ेवर खरीदा।
भीड़ ने कल बहुत पीटा
उस आदमी को
जिस का मुख ईसा से मिलता था।
वह कोई और महीना था।
जब प्रत्येक टहनी पर फूल खिलता था,
किंतु इस बार तो
मौसम बिना बरसे ही चला गया
न कहीं घटा घिरी
न बूँद गिरी
फिर भी लोगों में टी.बी. के कीटाणु
कई प्रतिशत बढ़ गए
कई बौखलाए हुए मेंढक
कुएँ की काई लगी दीवाल पर
चढ़ गए,
और सूरज को धिक्कारने लगे
--व्यर्थ ही प्रकाश की बड़ाई में बकता है
सूरज कितना मजबूर है
कि हर चीज़ पर एक सा चमकता है।
हवा बुदबुदाती है
बात कई पर्तों से आती है—
एक बहुत बारीक पीला कीड़ा
आकाश छू रहा था,
और युवक मीठे जुलाब की गोलियाँ खा कर
शौचालयों के सामने
पँक्तिबद्ध खड़े हैं।
आँखों में ज्योति के बच्चे मर गए हैं
लोग खोई हुई आवाज़ों में
एक दूसरे की सेहत पूछते हैं
और बेहद डर गए हैं।
सब के सब
रोशनी की आँच से
कुछ ऐसे बचते हैं
कि सूरज को पानी से
रचते हैं।
बुद्ध की आँख से खून चू रहा था
नगर के मुख्य चौरस्ते पर
शोकप्रस्ताव पारित हुए,
हिजड़ो ने भाषण दिए
लिंग-बोध पर,
वेश्याओं ने कविताएँ पढ़ीं
आत्म-शोध पर
प्रेम में असफल छात्राएँ
अध्यापिकाएँ बन गई हैं
और रिटायर्ड बूढ़े
सर्वोदयी-
आदमी की सबसे अच्छी नस्ल
युद्धों में नष्ट हो गई,
देश का सबसे अच्छा स्वास्थ्य
विद्यालयों में
संक्रामक रोगों से ग्रस्त है
(मैंने राष्ट्र के कर्णधारों को
सड़को पर
किश्तियों की खोज में
भटकते हुए देखा है)
संघर्ष की मुद्रा में घायल पुरुषार्थ
भीतर ही भीतर
एक निःशब्द विस्फोट से त्रस्त है
पिकनिक से लौटी हुई लड़कियाँ
प्रेम-गीतों से गरारे करती हैं
सबसे अच्छे मस्तिष्क,
आरामकुर्सी पर
चित्त पड़े हैं।