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"महाकाल / अवतार एनगिल" के अवतरणों में अंतर
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09:24, 18 अप्रैल 2010 के समय का अवतरण
हल्की काली धरती पर
महाकाल के बरगदों के साये
फैल गए हैं
तूफानों की चीत्कार में
गर्भपात के भय से
रोशनियों के नक्श पथरा गए हैं
कुछ-हो-जाने-की-दहशत ने
वहशत की चुड़ेल को जन्म दे दिया है
जंगल की वीरान आवाज़ों में
पेड़ों की परछाईयों पर
तैरती हैं
छाती पीटते बनमानुष की चीख़
पर महाकाल के नृत्य में
मन का जुगनू
काल का ही हृदय बन
धड़कता है।