भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
"जन्म-दिन के दिन / रवीन्द्र दास" के अवतरणों में अंतर
Kavita Kosh से
(नया पृष्ठ: मैं अपने जन्म-दिन के दिन सोचता हूँ कि कोई अपने जन्म-दिन पर खुश कैस…) |
(कोई अंतर नहीं)
|
20:46, 19 अप्रैल 2010 का अवतरण
मैं अपने जन्म-दिन के दिन सोचता हूँ
कि कोई अपने जन्म-दिन पर खुश कैसे हो पाता है ?
मैं अपने जन्म-दिन के दिन
खुश होने की कोशिश करना भूल जाता हूँ।
फिर भी मैं सोचता हूँ
कि किसी के जन्म-दिन, मसलन , गाँधी या ईसा के जन्मदिन पर
छुट्टी क्यों होती है?
किसकी और किससे होती है ?
और सोचता हूँ
कि जन्म लेना ख़ुशी की बात है या दुःख की बात !
हालाँकि यह सोचना अच्छानहीं लगता
फिर भी सोचता हूँ कि
जन्म लिया जाता है
या जन्म दिया जाता है ?
साथ में मैं यह भी सोचता हूँ
कि जन्म लेना ख़ुशी की बात है
या जन्म दिन मनाना ख़ुशी की बात ।
सच बताऊँ तो मैं सोचता नहीं
बस जानना चाहता हूँ
कि ख़ुशी का कोई कारण होता है
या यहाँ भी सिर्फ मनमानी है।