"एक शहर की कहानी / अवतार एनगिल" के अवतरणों में अंतर
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इसी नये शहर की पुरानी एक गली में | इसी नये शहर की पुरानी एक गली में | ||
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दो बेटियों की मां | दो बेटियों की मां | ||
एक बेटे की लालसा लिए | एक बेटे की लालसा लिए | ||
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करोड़ों जादुई रंगों के जाल | करोड़ों जादुई रंगों के जाल | ||
लहराती है काले बाल | लहराती है काले बाल | ||
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क्यों नाचती है भूख की डायन | क्यों नाचती है भूख की डायन | ||
उसके आंगन में | उसके आंगन में |
10:14, 20 अप्रैल 2010 के समय का अवतरण
मेरे आबाद शहर में
तंग रास्तों पर
चलती है
बरबाद भीड़ें
और कुलबुलाते हैं
बड़े कैलेण्डरों वाले छोटे कमरों में
शापित भगवान
मेरे शहर के रोज़गार के दफ़्तर के दरवाज़ों पर
भटकते हैं
रोज़ी तलाशते आदमियों के रेवड़
इसी नये शहर की पुरानी एक गली में
रहती है, बुधिया की बहू, बुंदू की बीवी
दो बेटियों की मां
एक बेटे की लालसा लिए
हर रोज़ एक सपना बुनती है
इधर शहर के शमशान में
पंजों के बल चलती है
सर्द सुनहरी शाम संग
लम्बे दांतों वाली एक चुड़ैल
बुनती है जो
करोड़ों जादुई रंगों के जाल
लहराती है काले बाल
बुंदू की बीवी नहीं जानती
क्यों नाचती है भूख की डायन
उसके आंगन में
कि क्यों जलते हैं हर रोज़
उसकी रसोई में
पेटों के अलाव ?
गंठिये का मरीज़ सठियाया ससुर
लगातार बोलती बीमार मां
चिड़्चिड़ाता ख़ाबिंद
मांस नोचती बेटियां दो
और सपने सहेजती---बूंदू की बीवी
हर रोज़ मेरे नये शहर में
पुराने पीपल की बूढ़ी शाखाओं पर
निगलता है रात का अजगर
सांझ के सूरज की सिंदूरी मणि
और पेटों के अलाव भूलकर
बूंदू की बीवी
बुधिया की बहू
हर रोज़ एक सपना बुनती है।